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The Complete Story of Ram Navami: The Birth and Life of Lord Rama – in हिन्दी

राम नवमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान राम, जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, हिंदू महाकाव्य रामायण के नायक हैं। उनकी कथा न केवल एक धार्मिक ग्रंथ के रूप में, बल्कि जीवन के नैतिक मूल्यों और आदर्शों को सिखाने वाली कहानी के रूप में भी प्रसिद्ध है। नीचे राम नवमी और भगवान राम की पूरी कहानी हिंदी में दी जा रही है:


राम नवमी का महत्व

राम नवमी भगवान राम के जन्म का उत्सव है। मान्यता है कि त्रेतायुग में इसी दिन अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर भगवान विष्णु ने राम के रूप में सातवां अवतार लिया था। यह दिन भक्तों के लिए भक्ति, मर्यादा और धर्म के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं, रामायण का पाठ करते हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से भगवान राम का गुणगान करते हैं।


भगवान राम की कहानी

जन्म और प्रारंभिक जीवन

अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं – कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। उनके कोई संतान न होने के कारण दशरथ चिंतित थे। तब ऋषि वशिष्ठ के सुझाव पर उन्होंने पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया। यज्ञ के फलस्वरूप उन्हें एक दिव्य खीर मिली, जिसे तीनों रानियों में बाँटा गया। इसके परिणामस्वरूप कौशल्या से राम, कैकेयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुघ्न का जन्म हुआ। राम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को मध्याह्न में हुआ, जिसे आज राम नवमी के रूप में मनाया जाता है।

राम का बचपन अयोध्या में सुख-शांति से बीता। वे चारों भाइयों में सबसे बड़े थे और अपनी मर्यादा, शील और विनम्रता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी शिक्षा ऋषि विश्वामित्र और वशिष्ठ जैसे महान गुरुओं के मार्गदर्शन में हुई।


विश्वामित्र के साथ यात्रा और सीता से विवाह

जब राम युवा हुए, तब ऋषि विश्वामित्र उनके पास आए और राक्षसों से अपने यज्ञ की रक्षा के लिए सहायता मांगी। राम और लक्ष्मण उनके साथ गए। इस दौरान राम ने ताड़का, सुबाहु और मारीच जैसे राक्षसों का वध किया। इसके बाद विश्वामित्र उन्हें मिथिला ले गए, जहाँ राजा जनक की पुत्री सीता का स्वयंवर हो रहा था। स्वयंवर में शर्त थी कि जो भी शिव धनुष को उठाकर उसकी प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही सीता से विवाह करेगा। राम ने न केवल धनुष उठाया, बल्कि उसे तोड़ दिया। इस तरह उनका विवाह सीता से हुआ। लक्ष्मण का विवाह सीता की बहन ऊर्मिला से, भरत और शत्रुघ्न का भी सीता की अन्य बहनों से विवाह हुआ।

वनवास और कैकेयी की मांग

अयोध्या लौटने के बाद दशरथ ने राम को युवराज घोषित करने का निर्णय लिया। लेकिन कैकेयी ने अपनी दासी मंथरा के बहकावे में आकर दशरथ से अपने दो वरदान मांगे, जो उन्हें पहले दिए गए थे। पहला, भरत को राजा बनाना और दूसरा, राम को 14 वर्ष का वनवास देना। दशरथ को अपना वचन निभाना पड़ा। राम ने पिता का आदेश माना और सीता व लक्ष्मण के साथ वन की ओर प्रस्थान किया। दशरथ इस दुख को सह न सके और उनकी मृत्यु हो गई। भरत ने राज्य लेने से इनकार कर दिया और राम की चरण-पादुकाएँ लेकर अयोध्या का संचालन किया।


वनवास के दौरान घटनाएँ

वन में राम, सीता और लक्ष्मण ने कई ऋषियों की रक्षा की और राक्षसों का संहार किया। एक दिन रावण की बहन शूर्पणखा ने राम को देखा और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। राम ने मना किया, तो उसने सीता पर हमला करने की कोशिश की। लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। इससे क्रुद्ध रावण ने सीता का अपहरण कर लिया।

रावण से युद्ध और सीता की मुक्ति

सीता को खोजते हुए राम और लक्ष्मण ने सुग्रीव, हनुमान और वानर सेना से मित्रता की। हनुमान ने लंका जाकर सीता का पता लगाया और रावण के संदेशवाहक के रूप में उसकी पूंछ में आग लगाई गई, जिससे उन्होंने लंका को जला दिया। इसके बाद राम ने वानर सेना के साथ समुद्र पर सेतु बनाया और लंका पर आक्रमण किया। भयंकर युद्ध में राम ने रावण का वध किया और सीता को मुक्त कराया। सीता ने अग्नि परीक्षा दी ताकि उनकी पवित्रता सिद्ध हो सके।

अयोध्या वापसी और राम राज्य

14 वर्ष के वनवास के बाद राम अयोध्या लौटे। उनका राज्याभिषेक हुआ और उन्होंने एक आदर्श शासन स्थापित किया, जिसे “राम राज्य” कहा जाता है। यह शासन न्याय, समानता और धर्म पर आधारित था।


राम नवमी का उत्सव

राम नवमी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं, राम मंदिरों में दर्शन करते हैं और राम रक्षा स्तोत्र या रामचरितमानस का पाठ करते हैं। कई जगह झांकियाँ निकाली जाती हैं और राम-सीता के विवाह का मंचन होता है। भक्त प्रसाद बाँटते हैं और गरीबों को दान देते हैं।

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